खनन रक्षकों को कार्यालय के चपरासी के बराबर वेतनमान दे रही सरकार

HNN/ शिमला

प्रदेश में शिक्षक पुलिस क्लर्क के अलावा और भी कर्मचारी हैं जिनको सरकार जानती ही नहीं है। इनमें से एक है खनन रक्षक जिनके कंधों पर अवैध खनन जैसे ज्वलंत मुद्दे को रोकने का भार है। जानकारी देते हुए प्रदेश अध्यक्ष राज्य खनन रक्षक संघ सुचेत सिंह ठाकुर ने बताया कि खनन रक्षकों को सरकार 4900 +1300 वेतनमान देती है, जोकि कार्यालय के चपरासी के बराबर है।

हिमाचल में मात्र 90 खनन रक्षक हैं, कहा जाए तो एक खनन रक्षक एक उप मंडल के बराबर का क्षेत्र देखता है। यानी कि एसडीएम के बराबर का क्षेत्र। ऊपर से अवैध खनन पर चालान की शक्तियां भी सरकार द्वारा नहीं दी गई पर अवैध खनन कहीं पाया जाए तो स्पष्टीकरण सबसे पहले खनन रक्षक से मांगते है। बताया कि खनन रक्षकों पर जानलेवा हमले तो अब आम बात है।

गत वर्ष एक खनन रक्षक टिप्पर के नीचे आ कर मर गया और इस वर्ष एक पर हमला हुआ। अब नौकरी छोड़ने की बात कह रहे हैं। सरकार की मंशा समझ नहीं आती, मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्री और एसीएस को पहले से सब पता है पर किसी ने अभी तक खनन रक्षकों की समस्याओं का समाधान नहीं किया। जेसीसी मीटिंग के बाद भी केवल आश्वासन ही मिल रहा है। सुचेत सिंह ठाकुर ने बताया कि शायद हमारी संख्या कम है और आवाज़ में दम नहीं है इसलिए हमेशा शोषित ही रहना पड़ेगा।


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