सिरमौर में आज भी जिंदा है “हेला” की परंपरा

खेत जोतने का काम हो या फसल निकालने का, मिलजुल कर करते हैं सहायता

HNN/ तपेंद्र ठाकुर पांवटा

आज के दौर में जहां लोगों के पास 1 मिनट का भी समय नहीं है तो वही ग्रामीण इलाकों की यदि बात की जाए तो लोग समय निकालकर एक दूसरे की मदद के लिए तैयार रहते हैं। जिला सिरमौर के बनौर के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोग एक दूसरे की मदद के लिए तत्पर हैं। किसी का कोई भी कार्य हो ग्रामीण मिलकर भरपूर सहयोग करते हैं। दशकों से चली आ रही यह प्रथा आज भी गांव में बखूबी निभाई जाती है।

जिसका उदाहरण आज हम आपको प्रत्यक्ष तौर पर दिखाएंगे। जी हां, आज आपको हिमाचल प्रदेश जिला सिरमौर के कुछ ऐसे गांव में लेकर जाएंगे जहां पर लोग एकत्रित होकर कार्य करते हैं। आपको बता दें कि गांव के लोग बिना किसी मेहनताना, निस्वार्थ भाव तथा एकजुट होकर कार्य करते हैं।

आज के दौर में जहां आधुनिकता की दौड़ में लोग तमाम समाजिक सरोकारों को भूल चुके हैं वही यह भाईचारा एक प्रेरणादायक मिसाल है। आज के समय में जहां लोगों के पास 1 मिनट का भी समय नहीं है तो वहीं भोले-भाले ग्रामीण सारा दिन एक दूसरे की मदद में जुट जाते हैं।

सिरमौर की भाषा में इसको “हेला” कहते हैं। इन दिनों गांव में अदरक खोदने का कार्य जोरोशोरों से चला हुआ है और ये ग्रामीण एक साथ इस कार्य को एक दूसरे के परिवार की सहायता से करते हैं। ग्रामीण सुबह से शाम खेतों में काम करते हैं। दोपहर के समय में खेतों में ही भोजन करते हैं, यही नहीं बल्कि चाय पानी का प्रबंध भी खेतों में ही होता है। दोपहर तथा रात्रि का भोजन एक साथ करते हैं।


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