नशा सेवन की बुराई को समाप्त करने के लिए सभी का योगदान आवश्यक-राज्यपाल

HNN / शिमला

राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि विजयादशमी का पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह तभी सार्थक होगा, जब हम समाज से नशा सेवन जैसी सामाजिक बुराई को मिटाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देंगे। उन्होंने कहा कि समाज में नशा सेवन तेजी से बढ़ रहा है और युवा इसकी चपेट में आ रहे हैं, जो जानलेवा है। उन्होंने कहा कि सभी को इसके बारे में गम्भीरता से सोचना चाहिए और योगदान देने के साथ-साथ ठोस कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि सामाजिक मुद्दों पर जनभागीदारी जरूरी है।

राज्यपाल ने कहा, हमें संकल्प लेना चाहिए कि न केवल खुद को बल्कि दूसरों को भी नशे की बुराई से बचाना है।  आर्लेकर ने कहा कि स्कूल के दिनों में उन्होंने कुल्लू दशहरा के बारे में पढ़ा था और भगवान श्री रघुनाथ की कृपा से आज उन्हें यहां आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि कुल्लू दशहरा कई मायनों में अलग है। दुनिया भर में जहां ये आयोजन सम्पन्न होता है वहीं कुल्लू में आरम्भ होता है। उन्होंने कहा कि यह विविधता हमारी संस्कृति को और समृद्ध बनाती है। उन्होंने कहा कि रथ यात्रा शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुई यह बड़ी बात है, जिसका श्रेय कुल्लू के लोगों को जाता है।

 उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश, देश का पहला राज्य है, जिसने कोरोना वायरस से सुरक्षा के लिए पहली खुराक देने का शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया है। उन्होंने कहा कि जनजातीय जिला किन्नौर ने भी वयस्कों को दूसरी खुराक देने का शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लिया है। उन्होंने कुल्लू दशहरा में बेहतर व्यवस्था के लिए जिला प्रशासन को बधाई दी। इससे पूर्व, राज्यपाल ने मेला मैदान में स्थापित भगवान रघुनाथ जी की मूर्ति पर शीश नवाया।

 इस अवसर पर कुल्लू दशहरा उत्सव समिति के उपाध्यक्ष एवं उपायुक्त आशुतोष गर्ग ने राज्यपाल का स्वागत एवं उन्हें सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि कोविड प्रोटोकाॅल के कारण पिछले वर्ष केवल सात देवताओं को आमंत्रित किया गया था, लेकिन इस वर्ष कोरोना टीकाकरण के परिणामस्वरूप स्थिति काफी बेहतर है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष 332 पंजीकृत देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया है, लेकिन कोविड प्रोटोकाॅल के कारण व्यावसायिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन नहीं किया जा रहा है।


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